फन धर्म - अवतरण काल

विभिन्न राक्षसों द्वारा आतंकित एवं चिंतित रहने के कारण जोन, जैसिका और जेमी अपने क्लब पर ध्यान देना भूलते रहे। परिणाम यह हुआ कि उन्नति की ओर अग्रसर वह क्लब अवनति की ओर अग्रसर होने लगा।

ईस्वी संवत जनवरी 19, 2003 की शाम इन तीनों को कल्पनाशीलता एवं आशावादिता के प्रभू भगवान फन के दर्शन प्राप्त हुये। उन्होने ज्ञान का एक दिव्य मार्ग दिखाया। वे अपने साथ अनेक दिव्य उपहार भी ले कर आए। यह दिन मोम्बत्तावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उन्होने अनेक बातें बताई जो निम्नलिखित है।

  1. संसार में सब अपनी दशा के स्वयं जिम्मेदार होते हैं।
  2. इस संसार मे सब अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं। अतः सभी प्रकार की स्वतन्त्रता के अधिकारी हैं।
  3. जीवन को सृजनात्मक कार्यों मे ही लागाओ।
  4. जीवन में सभी को एक दूसरे की ज़रूरत होती है।
  5. कलपनशीलता और वास्तविकता में केवल कर्म का अंतर होता है।
  6. आनंद, स्वतन्त्रता, समानता, स्वास्थ्य, एकता, ज्ञान एवं सत्कर्म के सभी अधिकारी होते हैं।
  7. स्वयं के बारे मे केवल वही सोचे जो दूसरे के बारे मे सोच सकता है।

फन भगवान ने इन ज्ञान भरी बातों के अलावा दो पुस्तकें क्रमशः फनचरितम एवं फनाचरण प्रदान की। साथ ही में एक फन प्रतीक बताया एवं पंचांग निर्धारण की एक पद्धति प्रदान की।