रेड शर्ट और जोनाष्ठमी की कथा

एक समय वो आया जब समाज मे सभी ओर भय एवं आतंक का वातावरण हो गया था। सभी ओर एक अशुभ सी शांति थी। यह समय था ईस्वी संवत 1999 का। सब ओर इस भयंकर शांति का कारण था रेडशर्ट नाम का भयंकर राक्षस।

सदैव लाल वस्त्रों को धारण किए हुये, अति भयंकर, दुष्ट, श्वेत दाँतो वाला, लंबाकार, काले नेत्रों युक्त, महिलाओं पर कुदृष्टि रखने वाला रेडशर्ट नाम का वह पिशाच सभी लोगो को आतंकित करता था। वह रास्ते पर चलते हुये लोगों के पीछे बिना कोई आहट किए लग जाता एवं उनका पीछा करते करते उनके घर मे प्रवेश कर लेता था। घर मे मे प्रवेश के पश्चात वह उनकी नीजी जीवन मे क्लेश उत्पन्न कर देता था।

देवी जोन रेडशर्ट के आतंक के बारे मे पहले से अवगत थी। अनेक बार लोगो की प्रार्थना पर देवी जोन ने रेडशर्ट की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। देवी जोन और जैसिका ने दो सुंदर अप्सराओं का रूप लिया। इसी प्रकार देव जेमी ने एक देवदूत का रूप लिया तथा उन सब ने गगन विहार करने का निर्णय लिया।

योजना के अनुसार देवी जोन और जैसिका तथा देव जेमी ने अपना गगन विहार आरंभ किया। प्रथम दिवस विहार करते करते वे सब रेडशर्ट द्वारा आतंकित क्षेत्र के ऊपर पँहुचे। वहाँ लोगो को रोते हुये देख कर देवियों ने वहाँ के लोगों से उनके शोक का कारण जानना चाहा। लोगो ने उन अप्सराओं को रेडशर्ट के आतंक के बारे मे बताया। उन्होने यह भी बताया कि किस तरह रेडशर्ट महिलाओं पर कुदृष्टि रखता है। यह सारा वृतांत सुनकर दोनों देवियों को बहुत कष्ट हुआ। लोगो को शांत करते हुए देव जेमी ने उन सभी को देवी जोन की लगातार आराधना करने को कहा और यह भी कहा कि इस पिशाच का अंत बहुत निकट है।

वहाँ से प्रस्थान कर वे लोग अगले दिन रेड शर्ट के भवन के पास जा पँहुचे। वहाँ पर योजना अनुसार जेमी और जैसिका ने रूप बदला और रेडशर्ट के भवन मे जा पँहुचे। वहाँ पता चला कि देवी जोन के बारे मे पहले से ही चर्चा है एवं रेडशर्ट ने अपने दास दासियों से कह रखा था कि जो भी जोन के बारे मे जानकारी लाकर देगा उसको पुरस्कार दिया जाएगा। अवसर का लाभ उठा कर जेमी और जैसिका ने रेडशर्ट के दरबार मे वेश बदल कर जोन के रूप की प्रशंसा कर दी। जब रेडशर्ट ने उनसे देवी जोन का पता पूछा तो दोनों ने बताया कि देवी जोन आज कल उत्तर दिशा मे गगन विहार पर निकली हुई हैं। रेड शर्ट यह सुन कर जोन से मिलने आतुर हो उठा। तीसरे दिन वह जेमी और जैसिका के बताए मार्ग पर चल पड़ा। जेमी और जैसिका अदृश्य हो कर उसके पीछे पीछे चलते रहे।

इस प्रकार पूरे 5 दिन बीत गए। रेडशर्ट को देवी के दर्शन नहीं हो पाये। हताश हो कर वह ज़ोर से जैसे ही चिल्लाया, आकाशवाणी हुई। आकाशवाणी ने रेडशर्ट से कहा कि पहाड़ के उस शीर्ष पर जोन ध्यान मग्न है। यह सुन कर रेडशर्ट अति प्रसन्न हुआ एवं पहाड़ की चड़ाई आरंभ कर दी। छठे दिन वह उस स्थान पर पहुँच ही गया जहां जोन दिव्य अप्सरा के रूप मे ध्यान मग्न थी। उस स्थान पर बहुत तेज़ प्रकाश था। रेडशर्ट ने देवी जोन को पुकारा। किन्तु तेज़ प्रकाश के कारण वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा है।

धैर्यहींन होकर रेडशर्ट उस दिव्य प्रकाश पुंज की ओर बढ़ा। उसने अपना हाथ बढ़ाया और उस पुंज को स्पर्श करने की कोशिश की। इतना ही था कि वह प्रकाश पुंज टूट गया और एक भयंकर गर्जना के साथ क्रोधित देवी जोन अपने प्रचंड रूप मे प्रकट हुईं। यह गर्जना इतनी तेज़ थी कि रेडशर्ट उस पर्वत से नीचे गिर पड़ा। देवी के विशाल रूप को उसने पहाड़ के नीचे से देखा। इस प्रकार देवी और उस पिशाच के मध्य भयंकर युद्ध आरंभ हो गया। जेमी और जैसिका भी प्रकट हो कर इस युद्ध मे कूद पड़े। यह पिशाच अपने अनेक नकल बनाता जा रहा था। और देखते ही देखते रेडशर्ट की भयानक सेना तैयार हो गयी।

सातवे दिन पूरा युद्ध चलता रहा। रेडशर्ट अपनी नकल प्रकट करता रहा। युद्ध और भी भयंकर होता चला गया। युद्ध का अंत न होते देखकर जेमी ने अग्नि कुंड प्रकट किया। अग्नि कुंड मे जैसिका ने अपनी चोटी से सभी पिशाचों को बांधा और कुंड मे फेक दिये। इस से एक चमत्कार हुआ। कुंड से एक स्त्री प्रकट हुई। इस स्त्री ने प्रकट होते ही रेडशर्ट को पकड़ लिया और उसको खाने को आतुर हुई। देवी जोन ने तभी उस स्त्री को रोका और उसके साथ रेडशर्ट का विवाह करा दिया। इसी के साथ अष्टमी वाले दिन रेडशर्ट की सभी दुष्ट शक्तियों का नाश हुआ और उसका हृदय परिवर्तित हो गया।

वहाँ के सभी पीड़ित लोगो ने उस दिन उत्सव मनाया। यह पर्व जोनाष्ठमी के रूप मे विख्यात हुआ।

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