पूजा संस्कार
पूजा फन धर्म का एक प्रमुख भाग है। पूजा द्वारा हम अपनी फन धर्म के प्रति आस्था प्रदर्शित करते हैं। पूजा कई अवसरों पर की जाती है। सभी विधानों का उल्लेख निम्नलिखित है।
फन भगवान की आराधना
विवाह संस्कार के हल्दी और मेहंदी रस्म में, संध्या आरती आदि हेतु फन भगवान की पूजा की जाती है। यह एक साधारण पूजा है जो किसी भी शुभ कार्य से पहले की जा सकती है।
इस के लिए सब से पहले किसी पवित्र स्थान पर फन प्रतीक को स्थापित कीजिये। इस प्रतीक के चारों ओर रंगोली बना देना चाहिए। अब मोमबत्तियाँ जलाइए और कहिए।
॥ मोमबत्ती प्रज्वलितानी शुभमानानिइतः ॥
अर्थात: मोमबत्ती प्रज्वलित करना शुभ माना जाता है।
फन भगवान की विशेष पूजा
विवाह के मुख्य दिन, मोमबत्तावली के दिन या किसी विशेष पर्व पर फन भगवान की विशेष पूजा की जाती है। इस पूजा को करने मे थोड़ा समय लगता है। इस से फन भगवान की कृपा प्राप्त होती है और वातवरण शुद्ध हो जाता है।
हाथ में पुष्प पत्तियाँ लेकर एक शुद्ध स्थान पर रखिए और फन प्रतीक को उसपर स्थापित कीजिये। कहिए-
॥ भो: फनेश्वर नमः चितस्थाने देतम: ॥
हाथ में पुनः पुष्प पत्तियाँ लेकर फन प्रतीक के चारों ओर रख दीजिये। नमस्कार कीजिये। अबीर से फन प्रतीक को रंगीन कर दीजिये। कहिए-
॥ हस्तेषू टेको पत्राणि विविध रंगेषूपुष्पनि ॥
॥ अर्पितेत तेन फनेषू च रंगीनकर समरंगानि ॥
॥ तठस्तहुत्वा दीयताम च फनेषू आधरानि ॥
॥ पुनः अर्पितेन पुष्पम च कर्तुम प्रतिनमानि ॥
अब पुष्प अर्पित कीजिये और मोमबत्ती जलाइए। कहिए-
॥ हस्तेषू नीत्वा पुष्पा: सतहेषु तिशठवन्ति ॥
॥ शुभकर कथयति इतः मोमबत्ती प्रज्वलवन्ति ॥
अब स्वयं को पवित्र करते हैं। इसके लिए 3 अगरबत्तियों का समूह जलाएँ और एक कटोरी में उसकी भभूति को गिरने दें। अब इस में जल मिलाकर सारे वातावरण में छिड़क दें। धूप भी जलाएँ। कहिए-
॥ ओमा पवित्रों अपवित्रों पवित्रा: सन्ति ॥
॥ यदि त्वम अगरबत्ती धूपम च प्रज्वलवन्ति ॥
अब हाथों में जल लेकर सभी पर छिड़क दीजिये। अब कहिए-
॥ ओमा कल्पनाशीलता त्वमा हि सर्वभूतेषु ॥
॥ मंगलाकार्यी कार्यतः मम तुममे प्राणेषु ॥1॥॥ तस्य हि अस्य जीवनस्य प्रथमम किरणम भवेयु ॥
॥ तद सीडीप्लेयर वीसीडीच शोरशराबाकरेयु ॥2॥॥ मनस्य विचलितकंडीशनम औरविचलित करेयु ॥
॥ वयम धन्यम भावमी इतः त्वम सर्वकार्य कुर्यू ॥3॥॥ नेयम अस्य ऊपरे शिखरे दे दर्शन हमेयु ॥
॥ अस्य अरुणा फनस्य करुणा सर्वसुख चलेयू ॥4॥॥ सर्वस्य सुखेनिमते इदम पर्वम करन्ति ॥
॥ दुष्ट नमत्वा सजानदित्वा त्वमएव पुत्र: भवन्ति ॥5॥
अब भोग अर्पित कीजिये और प्रार्थना कीजिये। पूजा सम्पन्न हुई। अब प्रसाद वितरित कर दीजिये।
घोंसूवर्धन पर देवी जोन की पूजा विधि
सब से पहले फन भगवान की पूजा करेंगे। इस के लिए हाथ में पुष्प पत्तियाँ लेकर एक शुद्ध स्थान पर रखिए और फन प्रतीक को उसपर स्थापित कीजिये। कहिए-
॥ भो: फनेश्वर नमः चितस्थाने देतम: ॥
हाथ में पुनः पुष्प पत्तियाँ लेकर फन प्रतीक के चारों ओर रख दीजिये। नमस्कार कीजिये। अबीर से फन प्रतीक को रंगीन कर दीजिये। कहिए-
॥ हस्तेषू टेको पत्राणि विविध रंगेषूपुष्पनि ॥
॥ अर्पितेत तेन फनेषू च रंगीनकर समरंगानि ॥
॥ तठस्तहुत्वा दीयताम च फनेषू आधरानि ॥
॥ पुनः अर्पितेन पुष्पम च कर्तुम प्रतिनमानि ॥
अब पुष्प अर्पित कीजिये और मोमबत्ती जलाइए। कहिए-
॥ हस्तेषू नीत्वा पुष्पा: सतहेषु तिशठवन्ति ॥
॥ शुभकर कथयति इतः मोमबत्ती प्रज्वलवन्ति ॥
अब माता जोन का प्रतीक स्थापित करेंगे। कहिए-
॥ बीफुल सः कमलम च नेत्र समानस्वर्णम ॥
॥ पातुः पुष्पस्य आसन च दर्शी सः दूरदर्शनम ॥
अर्थात- कमल से भी सुंदर, दूरदर्शन से भी बड़ी दूरदर्शी, जिनके नेत्र स्वर्ण के समान चमकदार हैं। ऐसी देवी जोन को पुष्पों से फैले हुये आसन पर स्थापित कीजिये।
अब पूजन प्रारम्भ करेंगे-
हेमा पूजनीया माता त्वमा हि सर्वभूतेषु।
दुष्टस्य हन्तु पापाय जन्तु त्वमेव नष्टेषु॥
तस्य हि अस्य जीवनस्य प्रथमम किरणम भवेयु।
तद सीडी प्लेयर डीवीडी च।
शोर शराबा करेयु॥गातादेवी आराधयति दुष्टशक्ति देती विषम॥
पुत्र एक सर्वज्ञानी, सर्वशक्ति समाहितम॥
युवाकाले यद प्राप्यति सातु: सहहस्य साहसम।
उत्पात्यति स: पृथ्वी आकाश वायु च जलम॥सर्वलोके आराध्यति हे जोनदेवी हो प्रकटम।
पीड़ित इतः संसारे कर घोंसूसस्य वर्धनम॥
अवतारयति सा लोंगशिखरे हस्ते नीत्वा खड़गम।
देती दर्शनम भक्ते घोंसू हो मुग्धम॥घोंसू कुरु अपमान बारम्बार, माता क्रुद्ध: सन्ति।
सा प्रकटयति त्रिशूलम, घोंसूसस्य घुसतवन्ति।।
स: क्रंदे हे माता कुरु क्षम्य मम अपराधम।
माता कृपा दादाती स: ज्ञान मार्ग: च मोक्षम॥
अब कपूर और धूप जलाकर भोग अर्पित करें। प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित कर दें।
जोनाष्ठमी पर देवी जोन की पूजा विधि
सब से पहले फन भगवान की पूजा करेंगे। इस के लिए हाथ में पुष्प पत्तियाँ लेकर एक शुद्ध स्थान पर रखिए और फन प्रतीक को उसपर स्थापित कीजिये। कहिए-
॥ भो: फनेश्वर नमः चितस्थाने देतम: ॥
हाथ में पुनः पुष्प पत्तियाँ लेकर फन प्रतीक के चारों ओर रख दीजिये। नमस्कार कीजिये। अबीर से फन प्रतीक को रंगीन कर दीजिये। कहिए-
॥ हस्तेषू टेको पत्राणि विविध रंगेषूपुष्पनि ॥
॥ अर्पितेत तेन फनेषू च रंगीनकर समरंगानि ॥
॥ तठस्तहुत्वा दीयताम च फनेषू आधरानि ॥
॥ पुनः अर्पितेन पुष्पम च कर्तुम प्रतिनमानि ॥
अब पुष्प अर्पित कीजिये और मोमबत्ती जलाइए। कहिए-
॥ हस्तेषू नीत्वा पुष्पा: सतहेषु तिशठवन्ति ॥
॥ शुभकर कथयति इतः मोमबत्ती प्रज्वलवन्ति ॥
अब माता जोन का प्रतीक स्थापित करेंगे। कहिए-
॥ बीफुल सः कमलम च नेत्र समानस्वर्णम ॥
॥ पातुः पुष्पस्य आसन च दर्शी सः दूरदर्शनम ॥
अर्थात- कमल से भी सुंदर, दूरदर्शन से भी बड़ी दूरदर्शी, जिनके नेत्र स्वर्ण के समान चमकदार हैं। ऐसी देवी जोन को पुष्पों से फैले हुये आसन पर स्थापित कीजिये।
माला अर्पित करें। और नमस्कार करें।
॥ माल्याणि अर्पितानि प्रतिनमामि च ॥
अब स्वयं को पवित्र करते हैं। इसके लिए 3 अगरबत्तियों का समूह जलाएँ और एक कटोरी में उसकी भभूति को गिरने दें। अब इस में जल मिलाकर सारे वातावरण में छिड़क दें। धूप भी जलाएँ।
॥ ओमा पवित्रों अपवित्रों पवित्रा: सन्ति ॥
॥ यदि त्वम अगरबत्ती धूपम च प्रज्वलवन्ति ॥
अब पूजन प्रारम्भ करेंगे-
हेमा पूजनीया माता त्वमा हि सर्वभूतेषु।
दुष्टस्य हन्तु पापाय जन्तु त्वमेव नष्टेषु॥
तस्य हि अस्य जीवनस्य प्रथमम किरणम भवेयु।
तद सीडी प्लेयर डीवीडी च।
शोर शराबा करेयु॥अस्ति रेडशर्ट: दानवम कुटिल दृष्टि तिशठवन्ति।
सा देवी स: दुष्टम आतंकित सर्व जन: सन्ति॥
कुरु कृपा अष्ठ दिवसे माता उचित मार्ग स: पश्यन्ति।
जोनाष्ठमी कथ्यति इत: ज्ञान प्रकाश भवंती॥
अब कपूर और धूप जलाकर भोग अर्पित करें। प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित कर दें।
जैसिका पंचमी पर देवी जैसिका की पूजा विधि
सब से पहले फन भगवान की पूजा करेंगे। इस के लिए हाथ में पुष्प पत्तियाँ लेकर एक शुद्ध स्थान पर रखिए और फन प्रतीक को उसपर स्थापित कीजिये। कहिए-
॥ भो: फनेश्वर नमः चितस्थाने देतम: ॥
हाथ में पुनः पुष्प पत्तियाँ लेकर फन प्रतीक के चारों ओर रख दीजिये। नमस्कार कीजिये। अबीर से फन प्रतीक को रंगीन कर दीजिये। कहिए-
॥ हस्तेषू टेको पत्राणि विविध रंगेषूपुष्पनि ॥
॥ अर्पितेत तेन फनेषू च रंगीनकर समरंगानि ॥
॥ तठस्तहुत्वा दीयताम च फनेषू आधरानि ॥
॥ पुनः अर्पितेन पुष्पम च कर्तुम प्रतिनमानि ॥
अब पुष्प अर्पित कीजिये और मोमबत्ती जलाइए। कहिए-
॥ हस्तेषू नीत्वा पुष्पा: सतहेषु तिशठवन्ति ॥
॥ शुभकर कथयति इतः मोमबत्ती प्रज्वलवन्ति ॥
अब माता जैसिका का प्रतीक स्थापित करेंगे। कहिए-
॥ अंतस्य हर आरंभम स्वीकार कुरु देवदानवम ॥
॥ हेमा कल्याण कुरु सर्वलोके सर्वस्यम ॥
अर्थात- अंत से जिसका आरंभ होता है एवं जिसका ज्ञान देवता और दानव सभी स्वीकार करते हैं ऐसी माँ जैसिका सभी का कल्याण करने वाली हो।
अब माला अर्पित करें। और नमस्कार करें।
॥ माल्याणि अर्पितानि प्रतिनमामि च ॥
अब स्वयं को पवित्र करते हैं। इसके लिए 3 अगरबत्तियों का समूह जलाएँ और एक कटोरी में उसकी भभूति को गिरने दें। अब इस में जल मिलाकर सारे वातावरण में छिड़क दें। धूप भी जलाएँ।
॥ ओमा पवित्रों अपवित्रों पवित्रा: सन्ति ॥
॥ यदि त्वम अगरबत्ती धूपम च प्रज्वलवन्ति ॥
अब पूजन प्रारम्भ करेंगे-
हेमा पूजनीया माता त्वमा हि सर्वभूतेषु।
दुष्टस्य हन्तु पापाय जन्तु त्वमेव नष्टेषु॥
तस्य हि अस्य जीवनस्य प्रथमम किरणम भवेयु।
तद सीडी प्लेयर डीवीडी च।
शोर शराबा करेयु॥
यद हड्डा करोति हदम त्वम हि दीयम श्रापम।
न कर सकोती वार्ता एक इयम त्वम पाप:॥
हड्डा गोति तपस्या तथा अर्जितम शक्ति।
पासस्य माँ परीक्षा कीयम हर भक्ति॥
अंतराले माता ज्ञातयति स है देवी ही दानव।
पुन: दिति श्राप: कीति तू हन्तु मानव॥
नेककस्ट वर्षे त्वरिहुत्वा उदार सिवाह।
स्त्री एक करोति भला संगे हर विवाह॥
अब कपूर और धूप जलाकर भोग अर्पित करें। प्रार्थना करें और प्रसाद वितरित कर दें।