विवाह संस्कार

प्रस्तावना

विवाह एक पवित्र संस्कार है। विवाह शुभ मूहूर्त में किया जाना चाहिए। मूहूर्त फन पंचांग से ज्ञात किया जाता है। विवाह चार से पाँच दिन चल सकता है। विवाह के प्रमुख विधान निम्नलिखित है।

हल्दी की रस्म

इस दिन जिसका विवाह है उसे हल्दी युक्त लेप से रंग दिया जाता है। किसी भी लेप मे आवश्यक रूप से हल्दी मिलाकर यह रस्म की जा सकती है। रस्म आरंभ करने से पूर्व फन भगवान की पूजा आराधना की जाती है।

मेहंदी की रस्म

वैवाहिक जोड़ा हाथों में मेहँदी लगाता है। अलता से पैरों को अरुण कर दिया जाता है। फन भगवान की पूजा अर्चना के पश्चात उत्सव मनाया जाता है।

संगीत रस्म

इस रस्म के अनुसार भगवान फन की छत्र छाया में संगीत मय उत्सव का आयोजन किया जाता है।

विवाह

यह रस्म दो दिनों तक चल सकती है। इसमे वैवाहिक जोड़ा व्रत रखता है। दिन में एक विशेष पूजा आयोजित की जाती है जिसमे जोड़े को विवाह योग्य होने के लिए पवित्र किया जाता है। संध्या आरती के पश्चात दूल्हे को मय बाराती विवाह स्थल पर आ जाना चाहिए। दुल्हन विवाह स्थल पर मिष्ठानों से सजे थाल के साथ दूल्हे की प्रतीक्षा करती है। दूल्हे के आगमन के बाद दोनों को भगवान फन के सामने मिष्ठान की थाल के साथ एक दूसरे का हाथ पकड़ के बैठना होता है। मोमबत्ती प्रज्वलित की जाती है। फन आराधना की जाती है। और दूल्हा एक एक कर के फन प्रतीक को साक्षी मान कर दुल्हन को क्रमशः सिंदूर, बिंदी, पुष्पहार समर्पित करता है। फिर मिष्ठान का भोग फन भगवान को लगाया जाता है और अंततः दूल्हा दुल्हन एक दूसरे को मिष्ठान खिलाते हैं।

विदाई की रस्म

विदाई से पूर्व अतिथियों को सम्मानपूर्वक भोज करना होता है। और फिर विदाई हो जाती है।

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