जैसिका पंचमी की कथा
फन धर्म का पूर्वार्ध काल
संसार के उद्गम के समय से ही हर प्रकार के प्राणियों की उत्पत्ति हुई। जो प्राणी भले हुए उन्हें फन कृपा से देवयोग प्राप्त हुआ। किन्तु जो बुरे प्राणी थे उनको राक्षस बनना पड़ा। जोन, जैसिका और जेमी को अपने देवयोग का पता न था। इस सत्य का उदघाटन करने मे सहायता की उनकी परिस्थियों ने। अनेक प्रतिबंधों एवं राक्षसों (रूपक: दुख) के आतंक के फलस्वरूप इन तीनों को तपस्या (रूपक: आत्ममंथन) का मार्ग दिखाई दिया। और जिसके फलस्वरूप उनको आत्मज्ञान हुआ कि वे भी देव तुल्य (रूपक: कुछ भी करने मे सक्षम) हैं।
जब हलचल क्लब की नयी नयी रचना हुई तब कई दैत्यों और असुरों (रूपक: दुख एवं समस्या) ने इसकी सफलता के बीच बाधक बन कर जोन, जैसिका और जेमी को कष्ट पहुंचाने की चेष्ठा की। उन असुरों का इस पवित्र पुस्तक मे क्रमश: इस प्रकार वर्णन किया हुआ है।
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हड्डासुर नामक राक्षस देवी जैसिका को अकारण ही परेशान कर रहा था। उस समय तक जैसिका को भी अपने देवी होने का ज्ञान न था। इस कारण जैसिका परेशान रहने लगी। क्लब मे उसकी गतिविधियां बाधित रहने लगी। हड्डासुर का आतंक बढ़ता ही गया।
हड्डासुर और जैसिका पंचमी की कथा
ईस्वी संवत 1998 में इस लोक मे हड्डासुर नामक राक्षस की उत्पत्ति हुई। यह राक्षस अत्यंत दुष्ट था। देवी जैसिका को अकारण ही परेशान कर रहा था। उस समय तक जैसिका को भी अपने देवी होने का ज्ञान न था। इस कारण जैसिका परेशान रहने लगी। क्लब मे उसकी गतिविधियां बाधित रहने लगी। हड्डासुर का आतंक बढ़ता ही गया। देवी जैसिका ने कई बार हड्डासुर को समझाया और चेतावनियाँ दी किन्तु उसका स्वभाव और उदण्ड होता चला गया।
देवी जैसिका ने इसका उपाय सोचा और हड्डासुर को एक पत्र लिखा। उस पत्र में हड्डासुर को क्षमा करते हुये उसे मित्रता का प्रस्ताव दिया गया। देवी जैसिका ने सोचा था कि ऐसा करने से हड्डासुर में बदलाव आएगा और वह सुधर जाएगा। किन्तु ऐसा होने के बजाय परिस्थितियाँ और बिगड़ गयी। हड्डासुर ने अपना आतंक और बढ़ा दिया।
देवी जैसिका के जीवन में और विषम परिस्थितियाँ उत्पन्न करने के उद्देश्य से उस असुर ने एक कुटिल चाल चली। उसने तपस्या कर अत्यंत मायावी शक्तियाँ प्राप्त की। हड्डासुर ने देवी जैसिका को मोहित करने के उद्देश्य से एक मायाजाल की रचना की। उस मे हड्डासुर ने देवरूप धारण किया और देवी जैसिका को प्रेम प्रस्ताव भेजा। देवी जैसिका इस के पहले कुछ समझ पाती, भगवान फन की कृपा से उन्हे आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। भगवान फन द्वारा प्राप्त शक्ति से देवी जैसिका ने दुष्ट हड्डासुर की चाल समझ ली और उसके मायाजाल का अंत कर दिया।
क्रुद्ध जैसिका ने फन कृपा से आत्मसंयम खोये बिना हड्डासुर को एक शुभ दिन श्राप दिया। उस श्राप के अनुसार एक वर्ष के कठिन समय के बाद हड्डासुर का विवाह एक ऐसी कन्या से होगा जो उसका जीवन सार्थक कर देगी। यह दिन था जैसिका पंचमी का। और जैसा श्राप दिया गया वैसा ही हुआ। एक वर्ष के अंत तक हड्डासुर का विवाह सम्पन्न हुआ और उसका आतंक समाप्त हुआ।
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अनेक राक्षस विभिन्न शक्तियों से युक्त थे। उन सब मे सब से भयंकर था रेडशर्ट नाम का राक्षस। इस राक्षस के आतंक के कारण लोग अपने घर से बाहर नहीं निकल पाते थे।